"वजूद की कहानी"
"वजूद की कहानी" उस गहन यात्रा को दर्शाती है, जहां हम अपने अस्तित्व के अर्थ को खोजते हैं। यह कहानी एक भावनात्मक द्वंद्व से शुरू होती है, जब मैंने अपनी सहेली के व्यवहार से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
कविता
Jayashree Thitme
10/7/20241 मिनट पढ़ें


जीवन की हर राह में कुछ मोड़ ऐसे होते हैं, जहाँ हम अपने आप से सवाल करते हैं कि किस दिशा में बढ़ना सही होगा। चाहे वह हमारा कैरियर हो या कोई रिश्ता, हर किसी को इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मेरे लिए भी एक ऐसा समय आया था, जहाँ मैंने खुद को एक गहरे भावनात्मक द्वंद्व में पाया। अपने काम और रिश्तों के बीच एक संतुलन खोजने की कोशिश में, मुझे एहसास हुआ कि आगे बढ़ना जरूरी है, भले ही परिस्थितियाँ अनिश्चित हों। यह मेरे करियर का पिक पॉइंट था, जब मैंने अपनी सहकर्मी, जो मेरी सहेली भी थी, के बर्ताव से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।
यह वो समय था जब मैंने खुद को शब्दों के जरिये व्यक्त किया, अपनी भावनाओं को शायरी में ढाला। उस शायरी ने मुझे एक नया दृष्टिकोण दिया और मैंने पाया कि चाहे जो भी हो, रुकना मेरे स्वभाव में नहीं है।
शायरी:
"हम आगे चले तो आपका औधा कम होता है,
हम पीछे रहे तो आपको लगता है दुनिया आपको बुरा कहेगी।
हम साथ चले तो आपको हमेशा बंटवारे का डर रहता है,
शायद क्या चाहिए यह आपको पता ही नहीं है।
या जो चाहिए वह आपको दिखाना नहीं है
आपकी इस कश्मकश में हमारे चलने का वजूद ही लड़खड़ा गया है।
अब हम करें तो क्या करें
चलना आपको गवारा नहीं है, रुकना हमारी फितरत में नहीं है।"
यह शायरी मेरे उस अनुभव की आवाज है, जहाँ मैंने अपने करियर में खुद को फिर से खड़ा किया। इस स्थिति से गुजरते हुए, मैंने सीखा कि खुद पर विश्वास रखना कितना जरूरी है। यह कोई संदेश नहीं है, बस मेरे अनुभवों का प्रतिबिंब है, जिन्हें मैंने शब्दों में पिरोया है।
हर किसी के जीवन में ऐसे पल आते हैं, जब हमें खुद के रास्ते बनाने होते हैं, चाहे वो काम हो या कोई संबंध। यह मेरी कहानी है, जहाँ मैंने अपने लिए एक नया रास्ता चुना।
"मैंने जो लिखा है, वह आपको कैसा लगा? आपके विचार, सुझाव, या अनुभव जानने की उत्सुकता है। अगर कोई कन्फ्यूजन या सवाल हैं, तो कमेंट में ज़रूर बताएं—आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है!"
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