सबसे अच्छी सहेली : पर्स की कहानी और उससे जुड़े एहसास
सबसे अच्छी सहेली: पर्स की कहानी और उससे जुड़े एहसास, पर्स केवल एक बेजान चीज़ नहीं, बल्कि महिलाओं की सबसे अच्छी सहेली है। यह आत्मनिर्भरता, भावनाओं और यादों का प्रतीक है। जानिए कैसे पर्स हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता है।
कविता
Jayashree Thitme
10/31/2024
सबसे अच्छी सहेली
पर्स की कहानी और उससे जुड़े एहसास.....
हमारी सबसे अच्छी सहेली कौन है? पता है!
हमारी पर्स।
कोई उसे थैली कहता है,
तो कोई उसे बटुआ।
या किसी के लिए वो बैग।
एक औरत के श्रृंगार से लेकर उसके राज़दां बनने तक,
सबके लिए वह हमेशा उसका साथ देती है।
वह उसे आत्मनिर्भर तो बनाती है,
पर उसे यकीन भी दिलाती है कि इस सफर में वह हमेशा उसके साथ है।
वह ऐसी हमसफर है,
जिसका एहसास ही उसे सजने संवरने का बहाना दिलाती है।
कोई भी पहनावा हो, वो सबको अपनाती है।
सहेली जो मानती है।
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हम सभी की जिंदगी में कुछ साधारण चीजें ऐसी होती हैं, जिनसे हमारा गहरा जुड़ाव बन जाता है। खासतौर पर महिलाओं के लिए उनका पर्स सिर्फ चीजें रखने का साधन नहीं, बल्कि उनका साथी, राज़दां और आत्मनिर्भरता का प्रतीक होता है। बचपन से लेकर अब तक, हर महिला ने कभी न कभी अपने पर्स से जुड़ी अनगिनत यादें बनाई होंगी।
मेरी माँ का छोटा पर्स मुझे इसी जुड़ाव का एहसास दिलाता है। एक दिन, जब उन्होंने उसमें से खाने-पीने की चीजें निकालीं, तो मुझे यह समझ आया कि यह पर्स केवल सामान समेटने का साधन नहीं है। यह हमारी भावनाओं, यादों और हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने वाला साथी है। यही एहसास मुझे इस कविता को लिखने के लिए प्रेरित करता है।
यह साधारण सी दिखने वाली चीज़ हमें यह एहसास कराती है कि हम आत्मनिर्भर हैं और अपनी भावनाओं को अपने साथ संभाल कर रख सकते हैं। पर्स हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा है, जो न केवल हमारी ज़रूरतों का ख्याल रखता है, बल्कि हमें हमेशा आत्मविश्वास से भरे रहने की प्रेरणा भी देता है।
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