"मनकाइच करेगा: यह मन की कहानी है"

"मनकाइच करेगा: यह मन की कहानी है": "बचपन में अपनी कोई पसंद नहीं होती, पर उम्र के साथ इंसान की अपनी रुचियाँ बनती हैं। पर कुछ पुराने विचार उसे रोकते हैं, बंधन बनकर। और एक दिन ये दबा हुआ लावा फूट पड़ता है। यही है ‘मनकाइच करेगा’ की कहानी।"

RAP

Jayashree Thitme

11/1/2024

बचपन से ही हमारे पास एक तरह की "चॉइस" का अभाव रहता है। जब हमें किसी रिश्तेदार के यहाँ जाने का मन नहीं होता, तब भी हमें मम्मी-पापा की बात माननी पड़ती है। चाहे हम सामने वाले को पसंद करें या नहीं, चाहे हमें उनकी आदतें या मजाक अच्छे लगें या न लगें – जाना ही होता है। इस सिलसिले में, बचपन से लेकर बड़े होने तक हम उनकी उम्मीदों और चाहतों का एक हिस्सा बन जाते हैं, जैसे कि हमारी अपनी पसंद का कोई मतलब ही नहीं।

फिर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, समाज और रिश्तेदारों के सवाल और भी गंभीर होते जाते हैं। अब बात सिर्फ हल्के-फुल्के मजाक की नहीं रहती, बल्कि हर मुलाकात में सवालों का एक लंबा सिलसिला शुरू हो जाता है। ये सवाल सुनकर कभी-कभी लगता है कि हम किसी रिपोर्ट कार्ड की तरह जज किए जा रहे हैं। और जब हम सच बोलते हैं, तो वे ऐसे देखते हैं जैसे हम कुछ छुपा रहे हों या उनका सच सुनना असहनीय हो।

कई बार चुप रहने का ही विकल्प बेहतर लगता है। पर वो चुप्पी भी अंदर ही अंदर एक "लावा" बनकर जमा होती रहती है, जो एक दिन फूट पड़ती है।

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा,

नहीं जाना है मुझे किसी के घर,

नहीं आना है मुझे,

तुम्हारे संग बस रहना है घर में यूँ ही।

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा।

मन मेरा, घर मेरा, जो भी चाहूँ, वही करूँ,

किसी का मैं क्यों सुनूँ।

हाय आंटी, हेलो आंटी,

कस काय बर आहे।

नहीं मानता मैं ये रिवाज,

मम्मी, ना कहो ये सारी बात,

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा,

हा आला तो गेला।

काय करतो, किती घेतो, किती देतो,

नको नको नको नको।

साले नाकात दम आणले नुसते।

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा,

झूठ नहीं बोलना है,

सच नहीं सुनना है,

करूँ तो क्या करूँ,

बस यूँ ही चुप रहना है।

साले नाकात दम आणले रे नुसते।

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा,

अब तो मैं मेरे मनकाइच करेगा।

"मनकाइच करेगा, ये दबंग मन की कहानी है" – यही वो रैप सॉंग है, जिसमें मैंने इन भावनाओं को शब्द दिए हैं। इस यात्रा में, हम अपने अनुभवों को साझा करते हैं, ताकि हर कोई अपने जीवन की कहानी को समझ सके और अपनी पहचान बना सके। हर किसी के पास अपनी जिंदगी जीने का अधिकार होना चाहिए, ताकि हम अपनी खुशियों को दूसरों के सवालों और अपेक्षाओं में न खो दें।

"मैंने जो लिखा है, वह आपको कैसा लगा? आपके विचार, सुझाव, या अनुभव जानने की उत्सुकता है। अगर कोई कन्फ्यूजन या सवाल हैं, तो कमेंट में ज़रूर बताएं—आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है!"

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