दिल की खामोशी
दुनिया अक्सर कहती है कि हम बहुत बातें करते हैं, लेकिन असलियत में हमारी खामोशी हमसे कहीं ज्यादा बातें करती है। जब शब्द नहीं होते, तब हमारी खामोशी ही सबसे गहरे संवाद करती है। कभी-कभी खामोशी के जरिए दिल की वो बातें सामने आती हैं, जिन्हें शब्द कभी बयां नहीं कर पाते।
शेर
Jayashree Thitme
10/6/20241 मिनट पढ़ें
एक दिन मैं मेल से दूसरे गाँव जा रही थी। गाड़ी में बहुत सारे लोग बैठे थे और वे आपस में बहुत बातें कर रहे थे। उनके बीच हलचल, हंसी-मजाक, और बातें चल रही थीं, लेकिन मैं बस शांत बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी। बाहर की दुनिया को निहारते हुए मेरे मन में एक अजीब सी शांति थी, और तभी मुझे एहसास हुआ कि बाहर की बातचीत से कहीं ज्यादा गहरे स्तर पर मेरे भीतर की खामोशी मुझसे बातें कर रही थी।
खिड़की से झांकते हुए मैं पेड़ों को देख रही थी, मन में ख्याल आया, "यह पेड़ कितना खूबसूरत है, काश मैं इसके पास जा सकती।" नदी बह रही थी, और मुझे लगा, "यह कितनी मस्त नदी है, काश मैं इसके पास बैठकर कुछ समय बिता पाती।" यह सब सोचते-सोचते मुझे महसूस हुआ कि मेरी खामोशी कितनी बातें कर रही है। ऐसा लग रहा था जैसे मेरे भीतर की शांति अपने ही तरीके से संवाद कर रही हो, जैसे मेरे अंदर एक अलग ही दुनिया बसी हो जो सिर्फ मेरे लिए है।
बाहर के लोग अपने तरीके से बातें कर रहे थे, हंसी-मजाक कर रहे थे, लेकिन मेरे लिए सबसे गहरा संवाद मेरे भीतर की खामोशी से हो रहा था। कुछ ही पलों में मुझे एहसास हुआ कि मेरी खामोशी मुझसे कहीं ज्यादा बातें कर रही थी, जितना कि वे लोग आपस में कर रहे थे। इस अनुभव ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया और उसी से प्रेरित होकर मैंने यह शायरी लिखी:
"दुनिया कहती है हम बहुत बातें करते हैं,
दरअसल सच तो यह है कि हमसे भी ज्यादा,
हमारी खामोशी हमसे बातें करती है।"
खामोशी में छिपी हुई बातें अक्सर वह कह देती हैं, जो शब्दों के जरिए कहना मुमकिन नहीं होता। हम अक्सर दूसरों की बातों में उलझे रहते हैं, लेकिन जो खामोशी हमें महसूस होती है, वह हमारे भीतर के सबसे गहरे हिस्सों से संवाद करती है।
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