हकीकत की दौड़: जीवन के सच और भ्रम का सामना
"हकीकत की दौड़, एक कविता जो जीवन के सच, सही-गलत और पाप-पुण्य के सवालों को सामने रखती है। जानें कैसे यह कविता महाभारत और रामायण की कहानियों से प्रेरणा लेकर गहरे विचारों को उजागर करती है।"
कविता


कविता: हकीकत की दौड़
दौड़ शुरू हुई,
सच-झूठ, सही-गलत, पाप-पुण्य में,
और खत्म हुई,
हकीकत और तथ्य में...
क्या है सत्य?
क्या असत्य?
क्या है पाप?
क्या है पुण्य?
क्या गलत है?
क्या सही है?
जानता ना हर कोई,
जानता है बस यही,
हकीकत ही है रही।
कर्ण रक्त पांडवों का,
पर खड़ा है शत्रु द्वारा।
कैकई ने राज्य फोड़ा,
क्या माँ का कोई भाष्य होता?
कहा यही है प्रकृति ने,
हकीकत ही शेष सारा,
हकीकत ही शेष सारा,
हकीकत ही शेष सारा...