गांव की यादें: नानी का घरौंदा और हमारी कहानी

क्या आपने कभी किसी अनजान चेहरे में अपनी नानी को देखा है? या गांव की गलियों में बचपन की यादें महसूस की हैं ?"गांव की यादें: नानी का घरौंदा और हमारी कहानी" यह ब्लॉग मेरी उन्हीं भावनाओं का संग्रह है।

कविता

Jayashree Thitme

12/22/2024

Poems Valley - "गांव की नानी मूंगफली साफ करते हुए"
Poems Valley - "गांव की नानी मूंगफली साफ करते हुए"

गांव की गलियों से गुजरते हुए, चूल्हे की खुशबू और बच्चों की किलकारियों ने मुझे एक पल के लिए रुकने पर मजबूर कर दिया। कहीं न कहीं, हम सबने बचपन में वो दादियां और नानियां देखी हैं, जिनकी झुर्रियों में कहानियां बसी होती हैं।

इन यादों ने मुझे एक कविता लिखने के लिए प्रेरित किया। हर शब्द में नानी के हाथों की बनी चटनी की महक है, और हर पंक्ति में गांव के उन झूलों का सुकून है। मेरी कविता मेरे बचपन की उन यादों का आईना है, जहां नानी का घरौंदा हर दर्द मिटाने का जादू करता था।

शायद आपके दिल में भी एक 'नानी का घरौंदा' होगा। वहां की मिट्टी की खुशबू, वहां के झूलों की सरसराहट, और नानी के हाथों का स्पर्श आज भी दिल को सुकून देता होगा। यह कविता उस बचपन के प्यार और गांव की माया को समर्पित है, जो भले ही समय के साथ खो जाए, लेकिन हमारी यादों में हमेशा ताजा रहता है।

इस कविता के माध्यम से मैं बस यही कहना चाहती हूं कि शायद हम सबके दिल में एक 'नानी का घरौंदा' होता है, जहां बचपन हमेशा जिंदा रहता है।

कविता:

धरती-आसमान जहाँ एक होगा,

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

जहाँ दूर धुआं पुकारा करेगा,

चिड़ियों का जहाँ सुबह-शाम बतियाना होगा।

आँगन में दाना-पानी बिखराया होगा,

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

मटके में होगा दही खट्टा सा,

अचार को माने अकाल पड़ा सा।

चटनी का गोला हमें दुख में डुबोता,

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

पीपल का पेड़ वहाँ सब कुछ है जानता,

नीम का पेड़ दिनभर गोदी में लेता।

पत्थर भी सहता, इमली भी देता,

छाँव में अपने लोरी सुनाता।

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

किरकिर आवाज़ से अंधेरा चिल्लाता,

कोने का दिया सोने चले जाता।

नानी की रजाई में सर्दी को हटाते,

मैं घुस जाता,

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

गुस्से से भरा कोई बूढ़ा भी होगा,

बैठे-बैठे ही सबको गुर्राता होगा।

पर सबसे ज्यादा यादें वहीं छोड़ जाता,

वहाँ मेरी नानी का घरौंदा होगा।

झुकी सी मेरी नानी अब सिर्फ आँखों से है बहती,

हँसी उसकी अब सिर्फ यादों में है मिलती।

किसी भी गाँव में जब बुढ़िया बची है दिखती,

वहाँ मेरी नानी की माया है बहती।

वहाँ मेरी नानी की माया है बहती।

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