जनाजे की अपनी कहानी
"जनाजे की अपनी कहानी" जीवन, मृत्यु, बोझ और राहत के बीच के भावनात्मक संघर्ष को दर्शाती है, जो हम सभी के जीवन का हिस्सा है। यह जीवन और मृत्यु के गहरे अर्थों को उजागर करती है।
शेर
Jayashree Thitme
10/14/20241 min read
"जनाजा है मातम किसी के लिए
जनाजा है जीवन किसी के लिए
जनाजा है बोझ किसी के लिए
जनाजा है राहत किसी के लिए"
सवेरे-सवेरे एक दिन मैंने एक कनखजूरे का जनाजा देखा। बेजान पड़ा कनखजूरा और उसकी अंतिम यात्रा में चींटियों का झुंड उसे ले जा रहा था। इस दृश्य ने मुझे जीवन और मृत्यु के विषय पर सोचने पर मजबूर कर दिया। जब कोई इंसान मरता है, उसके अपने गहरे शोक में डूब जाते हैं, लेकिन दूसरी ओर, प्रकृति के लिए वह शरीर भोजन बन जाता है, जीवन का स्रोत।
जिस तरह कनखजूरे का जनाजा चींटियों के लिए जीवन का माध्यम बनता है, उसी तरह किसी के लिए यह बोझ बन जाता है। मैंने एक बार अपने रिश्तेदार के जनाजे में यह महसूस किया था। उनके बूढ़े माता-पिता अपने जवान बेटे को खोने का बोझ मन और शरीर दोनों पर महसूस कर रहे थे। दूसरी ओर, वही जनाजा उनके लिए राहत बन गया, जैसे किसी को कैंसर से लंबे समय तक जूझने के बाद मृत्यु राहत देती है—न केवल उस व्यक्ति को, बल्कि उन लोगों को भी, जो उसकी देखभाल करते हैं।
यह कहानी सिर्फ कनखजूरे की नहीं है, यह हम सभी की कहानी है। जीवन के हर मोड़ पर हम इन भावनाओं का सामना करते हैं। जीवन और मृत्यु, बोझ और राहत—ये सभी अनुभव हमारे जीवन का हिस्सा हैं, जो हमें बार-बार सोचने पर मजबूर करते हैं।
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