हकीकत की दौड़

शाम का समय धीरे-धीरे बीत रहा था, सूरज अपनी धीमी गति से डूब रहा था, लेकिन मेरे मन में विचारों की हलचल तेज़ हो रही थी। इस विरोधाभास ने मुझे जीवन के सही-गलत, पाप-पुण्य और सच-झूठ की दौड़ पर सोचने पर मजबूर किया। अंत में, समझ आई कि हकीकत ही शेष रहती है, बाकी सब भ्रम है। यही भावना मेरी कविता "हकीकत की दौड़" का मुख्य सार है।

कविता

जयश्री जितेंद्र थिटमे

9/28/20241 min read

Poem
Poem

हकीकत की दौड़

दौड़ शुरू हुई,

सच-झूठ, सही-गलत, पाप-पुण्य में

और खत्म हुई,

हकीकत और तथ्य में...

क्या है सत्य?

क्या असत्य?

क्या है पाप?

क्या है पुण्य?

क्या गलत है?

क्या सही है?

जानता ना हर कोई,

जानता है बस यही,

हकीकत ही है रही।

कर्ण रक्त पांडवों का,

पर खड़ा है शत्रु द्वारा,

कैकई ने राज्य फोड़ा,

क्या माँ का कोई भाष्य होता?

कहा यही है प्रकृति ने,

हकीकत ही शेष सारा,

हकीकत ही शेष सारा,

हकीकत ही शेष सारा...

"हकीकत की दौड़" उस शाम की कविता है, जब सूरज धीमी गति से डूब रहा था, लेकिन मेरे मन में विचारों की एक तेज़ कतार चल रही थी। जीवन के बड़े प्रश्न— सच-झूठ, पाप-पुण्य, सही-गलत—मन में एक दौड़ लगा रहे थे। इस विरोधाभास के समय में मन का संघर्ष और बाहरी दुनिया की शांति एक गहरे विचार को जन्म दे रहे थे। महाभारत और रामायण की कहानियों ने मुझे उस समय प्रेरित किया। जैसे कर्ण, पांडवों का रक्त होते हुए भी शत्रु के पक्ष में खड़ा था, या कैकई, जिसने राज्य विभाजित किया, पर एक माँ के निर्णय की सही-गलत का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं।

माँ की कोई व्याख्या नहीं होती—अच्छी-बुरी, सही-गलत, गोरी-काली, माँ तो बस माँ होती है।

जीवन में अक्सर हमें इन उलझनों से गुजरना पड़ता है, जहां नैतिकता और वास्तविकता के बीच फासला महसूस होता है। इस कविता में यही द्वंद्व है — कब क्या सही है और क्या गलत? हकीकत के परिप्रेक्ष्य में सब कुछ बदलता है। इस दौड़ का निष्कर्ष यही है कि अंत में बस हकीकत ही शेष रहती है, बाकी सब धुंधला हो जाता है।

विरोधाभास इस समय का मुख्य तत्व है — सूरज का धीमा डूबना और विचारों की तेज़ हलचल। इस एहसास को मराठी में 'कातरवेळ' कहा जाता है, जो उस गहराई और भावुकता को दर्शाता है जो शाम के समय मन में उत्पन्न होती है।" बाहरी दुनिया शांत, पर मन भीतर से हलचल से भरा हुआ। यह कविता इस गहराई को दर्शाती है कि जीवन के प्रश्नों का कोई निश्चित उत्तर नहीं होता, पर एक बात स्पष्ट है — हकीकत ही है जो अंत तक साथ रहती है।

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