चुप्पियों की कहानी
चुप्पियों की कहानी:"पहली बार एक तस्वीर से प्रेरित होकर कुछ लिखा। बिना किसी सोच के बस उसे देखा, महसूस किया और शब्दों ने खुद-ब-खुद आकार ले लिया। ये है 'चुप्पियों की कहानी'।"
शायरी
Jayashree Thitme
11/7/20241 min read


चुप्पियों की कहानी....
यह जल नहीं,
वो हर पल है,
जिसे हम हर घूँट की तरह जीना चाहते हैं।
यह तस्वीर नहीं,
वह खाली ढांचा है,
जिसमें झाँक कर हमने,
अतीत की यादों को आज़ाद कर दिया है।
यह धुआँ नहीं हमारी रूह है,
जिसे हमने आज अपनी राह बना ली है।
ये आँखों का सन्नाटा नहीं,
हमारी चुप्पियों का संगीत है,
जिसे हमने खुद ही लिखा है।
आज मेरे साथ कुछ नया हुआ। मैंने पहली बार एक तस्वीर देखकर कुछ लिखने का प्रयास किया, बिना किसी पूर्व विचार या भावना के। जब मैंने वह तस्वीर देखी, तो कुछ शब्द या भाव नहीं थे, बस एक खामोशी थी। मैंने उस तस्वीर को ध्यान से देखना शुरू किया, जैसे उस खामोशी में कोई कहानी छुपी हो, जो मुझे सुनाई नहीं, बल्कि महसूस कराई जा रही हो।
धीरे-धीरे तस्वीर के रंग, उसकी बारीकियाँ, उसमें छुपी खामोशी मुझसे कुछ कहने लगी। बिना किसी कोशिश के शब्द खुद-ब-खुद मन में आकार लेने लगे। ऐसा लगा जैसे उस तस्वीर से मेरी आत्मा संवाद कर रही है। वो तस्वीर मेरे भीतर के भावों को जगा रही थी। शब्द अपने आप निकलते गए, और मेरे मन की बात 'चुप्पियों की कहानी' के रूप में कागज पर उतर आई।
इस अनुभव ने मुझे एक नया आत्मविश्वास दिया। मैंने महसूस किया कि रचनात्मकता के लिए हमेशा पहले से विचारों का होना जरूरी नहीं है। कभी-कभी बस महसूस करने से भी हम कुछ सुंदर रच सकते हैं। इस प्रक्रिया ने मुझे सिखाया कि सिर्फ एक तस्वीर देखकर भी भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया जा सकता है।
यह मेरी पहली ऐसी रचना है, जो तस्वीर से प्रेरित है, और इसने मेरे लिए नए द्वार खोल दिए हैं। अब मैं इस नई कला को और गहराई से समझना चाहती हूँ। यह एहसास मुझे आगे और भी ऐसे अनकहे शब्दों को लिखने के लिए प्रेरित करेगा।
"मैंने जो लिखा है, वह आपको कैसा लगा? आपके विचार, सुझाव, या अनुभव जानने की उत्सुकता है। अगर कोई कन्फ्यूजन या सवाल हैं, तो कमेंट में ज़रूर बताएं—आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है!"
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