"अपनों से तकल्लुफ और अकेलेपन की कहानी"

"अपनों से तकल्लुफ और अकेलेपन की कहानी" यह शेर उस समय लिखा गया था, जब मैं अपने अपनों से हर्ट होकर अकेलापन महसूस कर रही थी। इस शेर में उन भावनाओं को व्यक्त किया गया है, जब अपने ही किसी तकल्लुफ या दूरी से दिल को ठेस पहुँचाते हैं। यह शब्द मेरे दिल की गहराई से निकले हैं, और मैंने इन्हें सिर्फ अपने इमोशंस को सामने लाने के लिए लिखा है। यह शेर उन सभी के लिए है, जो कभी न कभी अपने जीवन में अपनों से हर्ट होकर अकेलेपन का अनुभव कर चुके हैं। मेरे शब्द बस मेरे अनुभवों का हिस्सा हैं, और इन्हें लिखकर मैंने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है।

शेर

Jayashree Thitme

10/7/20241 min read

"अपनी ही तकलीफ,

अपनों को ही तकल्लुफ दे,

वह अपनापन ही क्या,

जो एक तकल्लुफ से,

तकलीफ मे तबदील हो जाए"

यह शेर मेरे दिल की गहराई से निकला, जब अपनों से हर्ट होकर मैंने खुद को अकेला महसूस किया। इस शेर के माध्यम से मैंने अपने उन भावों को बयां किया, जब अपने ही तकल्लुफ और दूरी से दर्द महसूस होता है। हमें उम्मीद होती है कि अपने लोग हमारे दुख और तकलीफ को समझेंगे, लेकिन कभी-कभी ये उम्मीदें टूट जाती हैं, और यह भावनात्मक पीड़ा दिल में घर कर जाती है।

इस शेर में शब्दों के माध्यम से मैंने अपनी निराशा और अकेलेपन को जाहिर किया है। जब अपने ही किसी औपचारिकता या दूरी से तकलीफ देते हैं, तब एक गहरा घाव महसूस होता है। यह शेर सिर्फ मेरे नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की कहानी बयां करता है, जिन्होंने कभी न कभी अपनों से ऐसी ही तकलीफ महसूस की हो।

यह मेरे इमोशंस का प्रमाणिक रूप से पेश किया गया शेर है, जिसे मैंने बिना किसी उद्देश्य या संदेश के लिखा है। यह सिर्फ मेरे दिल की बात है, जिसे मैंने शब्दों में ढाल कर आपके साथ साझा किया है। उम्मीद है कि यह आपके भी दिल के किसी कोने को छू सकेगा।

"मैंने जो लिखा है, वह आपको कैसा लगा? आपके विचार, सुझाव, या अनुभव जानने की उत्सुकता है। अगर कोई कन्फ्यूजन या सवाल हैं, तो कमेंट में ज़रूर बताएं—आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है!"

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