"अपनों के बीच अकेलेपन की कहानी"

"अपनों के बीच अकेलेपन की कहानी" यह शेर हमारे प्रियजनों के साथ रहते हुए भी महसूस होने वाली दूरी और भावनात्मक संघर्ष को बयां करती है, जो जीवन का अहम हिस्सा है।

शेर

Jayashree Thitme

10/16/20241 min read

कभी-कभी हम अपने प्रियजनों की देखभाल करते हुए जिम्मेदारियों को निभाते हैं, फिर भी एक अदृश्य दूरी का अनुभव करते हैं। मेरे मन में एक गहरी सोच है, जब मैं अपनी माँ के साथ समय बिताती हूँ। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके लिए कुछ करने में मुझे संतोष मिलता है, जैसे उनके लिए चाय बनाना या उनके पैर दबाना। यह सब करते हुए, मन में एक खुशी का अहसास होता है कि मैं उनके साथ हूँ और उनके लिए कुछ कर रही हूँ। उनकी मुस्कान और उनके चेहरे की खुशी मेरे लिए सबसे बड़ी इनाम होती है।

हालांकि, जब मुझे अकेलापन महसूस कराया जाता है, तो मन में एक गहरा दर्द उभरता है। जैसे हम जो भी कर रहे हैं, उसका कोई मूल्य नहीं है। यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में एक-दूसरे के लिए हैं। हम लगातार करते जाते हैं, लेकिन कभी-कभी हमारे होने का कोई महत्व नहीं होता। यह सवाल हमारे मन में चक्कर काटता है और हमें भीतर से तोड़ता है।

"क्या है ऐसा उसमें जो मुझमें नहीं है?

मैं कण-कण में शामिल हूं,

फिर भी उसी की आस है।

मेरा मौजूद होना ही शाप है,

उसका ना मौजूद होना ही अभिशाप है।"

हमारे चारों ओर होते हुए भी, कभी-कभी ऐसा लगता है कि हम अकेले हैं। यह एहसास और भी गहरा होता है जब हम अपने प्रयासों का कोई मूल्य नहीं देखते। हम करते जाते हैं, लेकिन कभी-कभी हमारे होने का कोई महत्व नहीं होता।

हमारी यह कहानी हर किसी के जीवन में कहीं न कहीं घटित होती है। हम सभी अकेलेपन के अनुभव से गुजरते हैं, और यही हमें जोड़ती है। "कहानी तुम्हारी हमारी" हमें इस भावनात्मक यात्रा का एहसास कराती है, जो सभी के जीवन में कभी न कभी घटित होती है।

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