"अल्फाज़ की कहानी"

"अल्फाज़ की कहानी: अल्फाज़ की कहानी इस शायरी में एक शायर के इर्द-गिर्द की बेजान चीज़ें इमोशन से भर जाती हैं, और अल्फाज़ में अपनी कहानी बयां करती हैं।जैसे कहानी तुम्हारी हमारी |"

शायरी

Jayashree Thitme

10/31/20241 min read

अल्फाज़ की कहानी.......

कलम को हमने नज़दीक क्या किया,

चाय का आना-जाना ही बढ़ गया।

कलम भी बड़ा बेवफा निकला,

स्याही को छोड़ चाय में डूबने लगा।

फिर क्या था, चाय के बाद अल्फ़ाज़ का आना-जाना बढ़ गया..

"शायरी सिर्फ शब्दों का संगम नहीं होती; यह उन बेजान चीज़ों की कहानी भी होती है जो हर शायर के इर्द-गिर्द बसी होती हैं। एक शायर के पास चाय का प्याला, कलम, स्याही, और कागज होते हैं, जैसे कि वे उसकी कल्पनाओं को सजीव करने का ज़रिया बन जाते हैं। जिस तरह से एक फैशन डिजाइनर के सुई-धागे, एक फोटोग्राफर के कैमरे, और एक पेंटर के रंगों में जान होती है, वैसे ही एक शायर के अल्फ़ाज़ इन चीज़ों की उपस्थिति से गहराई पाते हैं।

जब मैं लिखने बैठता हूँ, तो मेरा कलम और चाय का प्याला जैसे एक-दूसरे से बातचीत करने लगते हैं। कलम का हर शब्द, स्याही की हर बूंद में बहता हुआ, मेरी भावनाओं को पन्नों पर उकेरता है। ऐसा लगता है कि ये चीज़ें एक-दूसरे में खो जाती हैं, अपनी भावनाओं को साझा करती हैं, और यहीं से शायरी की एक नई कहानी जन्म लेती है।

मेरी शायरी में हर लफ़्ज़, हर ख़याल इन बेजान चीज़ों की कहानियों को सजीव कर देता है। जब कलम, स्याही, और चाय आपस में बात करते हैं, तो मेरे शब्द अल्फ़ाज़ की एक गहरी कहानी बुनते हैं। यह सिर्फ मेरा लिखा हुआ नहीं, बल्कि उन चीज़ों की भी कहानी है जो मेरे आसपास रहती हैं। यही मेरी शायरी का सार है—बेजान चीज़ों की बातों में पनपते अल्फ़ाज़, जो दिल तक पहुँचते हैं और अपनी कहानी कहते हैं।"

"मैंने जो लिखा है, वह आपको कैसा लगा? आपके विचार, सुझाव, या अनुभव जानने की उत्सुकता है। अगर कोई कन्फ्यूजन या सवाल हैं, तो कमेंट में ज़रूर बताएं—आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है!"

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