चट्टानों की कहानियां: तुम्हारी-हमारी जुड़ी बातें

चट्टानों की कहानियां: तुम्हारी-हमारी जुड़ी बातें, पत्थरों की चट्टानें, जो गवाह हैं इतिहास की महानता और टूटती इंसानियत की, आपकी और हमारी कहानियों को जोड़ती हैं। पढ़ें एक अनोखी कविता और उससे जुड़ा अनुभव।

कविता

Jayashree Thitme

2/2/2025

चट्टानों पर बैठा एक शांत इंसान
चट्टानों पर बैठा एक शांत इंसान

कुछ दिनों पहले मैंने हंपी की यात्रा की। ऐतिहासिक धरोहरों और विशाल चट्टानों के बीच घूमते हुए महसूस किया कि हर पत्थर के पास अपनी एक कहानी है। राजाओं के घमंड से लेकर युद्धों की बर्बादी तक, ये चट्टानें इतिहास की गवाह हैं। कहीं कोई सिर झुका रहा था, तो कहीं पैर रखकर चल रहा था। कोई इन्हें धरोहर मानता है, तो कोई बस पत्थर का ढेर। इन भावनाओं ने मेरे मन में एक विचार जगाया: क्या ये पत्थर हमारी ज़िंदगी की तरह नहीं हैं?

इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर मैंने ये कविता लिखी:

हम हैं पत्थर की चट्टानें

जो कहती हैं हजारों कथाएं

लिखी हैं तह पर हमारे

बनावट और बर्बादी की दास्तानें।

किसी ने रखा हम पर माथा

तो किसी ने रखा हम पर पैर।

किसी ने पाई हमसे शांति

तो किसी ने पाई हमसे आमदनी।

किसी को लगते हैं हम विरासत

तो किसी को लगते हैं हम खंडहर।

किसी को दिखती है हम में शान

तो किसी को दिखता है हममें खौफ।

पर हम तो हैं पत्थर की चट्टानें

जो बनी हैं गवाह सदियों से।

ना बैर, ना कोई गैर

बस अपने भीतर की सैर।

इन चट्टानों की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि हर अनुभव कुछ न कुछ सिखा कर जाता है। कोई हमें सम्मान देता है, तो कोई हमारी कद्र नहीं करता। फिर भी, हमारी सच्ची ताकत हमारे भीतर है। हमें खुद को शांत और मजबूत बनाए रखना चाहिए। इन चट्टानों की तरह, जो न झुकीं, न टूटीं, और आज भी गर्व से खड़ी हैं।

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