अपनों से तकल्लुफ और अकेलेपन का दर्द: एक भावनात्मक कहानी
यह शेर उन सभी के लिए है जो कभी अपने अपनों से हर्ट होकर अकेलेपन का अनुभव कर चुके हैं। इस भावनात्मक कविता में अपनों से दूर होने और तकलीफों के बीच की कहानी छुपी है। जानिए इस शेर की गहराई और भावनाओं को।
शेर
Jayashree Thitme
10/7/20241 मिनट पढ़ें


अपनों से तकल्लुफ और अकेलेपन का दर्द: एक भावनात्मक कहानी....
"अपनी ही तकलीफ,
अपनों को ही तकल्लुफ दे,
वह अपनापन ही क्या,
जो एक तकल्लुफ से,
तकलीफ मे तबदील हो जाए"
कभी-कभी जीवन में अपनों से तकल्लुफ और दूरी हमें अंदर से तोड़ देती है। यह शेर उन्हीं भावनाओं को बयां करता है, जब हमारे अपने हमें समझने के बजाय कुछ दूरी बना लेते हैं और हम अकेलेपन का एहसास करते हैं। यह एहसास कभी भी बहुत गहरे और दर्दनाक हो सकते हैं। इस शेर के माध्यम से मैं उन भावनाओं को व्यक्त कर रही हूं जो बहुतों के दिल में छुपी रहती हैं।
"अपनी ही तकलीफ, अपनों को ही तकल्लुफ दे" इस शेर में मैंने अपनी निराशा और अकेलेपन को उजागर किया है। यह सिर्फ एक शेर नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक आवाज है जो कभी न कभी अपनों से दूर होकर खुद को अकेला महसूस करते हैं। यह शब्द उन भावनाओं को बयान करते हैं, जिन्हें हम अक्सर अपने दिल में छुपा लेते हैं, लेकिन कभी कभी हमें उनका सामना करना पड़ता है।
इस शेर में दर्द और अकेलापन महसूस किया गया है, जो जीवन के कठिन समय में हमें मिलते हैं। उम्मीद है कि यह शेर आपके दिल को छू सके और आपको उन खामोश भावनाओं से रूबरू कराए जो कभी न कभी हर किसी के दिल में छुपी होती हैं। कभी-कभी अपनों से दूर होने पर हमें यह समझ आता है कि अकेलापन भी हमारे भीतर कुछ गहरे एहसास छोड़ जाता है। यह शेर उन सभी के लिए है, जो अपने दिल की गहराई में इस अकेलेपन और तकलीफ को महसूस करते हैं।
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